ترقية الحساب

गुरु – जीवन का मार्गदर्शक

 

जब भी जीवन में अंधकार छाने लगता है, जब रास्ता दिखता नहीं, जब आत्मविश्वास डगमगाने लगता है — तब कोई होता है जो हमें थाम लेता है, राह दिखाता है, और हमें खुद से मिलवाता है। वही हैं हमारे गुरू।

गुरु का अर्थ केवल शिक्षक नहीं होता

संस्कृत में “गुरु” का अर्थ है – 'गु' यानी अंधकार और 'रु' यानी उसे दूर करने वाला। इसलिए गुरु वो हैं जो हमारे जीवन के अज्ञान, भ्रम और संशयों के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। वो केवल विषय पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाले होते हैं।

जीवन में गुरु की भूमिका

ज्ञान का दीपक:गुरु हमें किताबों से अधिक जीवन के अनुभवों से सिखाते हैं। उनका हर शब्द, हर निर्देश, एक गहरा अर्थ लिए होता है।

प्रेरणा के स्रोत:जब हम हार मानने की कगार पर होते हैं, गुरु ही वो हाथ होते हैं जो हमें उठाकर फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

चरित्र निर्माता:गुरु केवल जानकारी नहीं देते, वे हमारे विचारों और संस्कारों को आकार देते हैं।

गुरु-दक्षिणा का असली अर्थ

प्राचीन काल में शिष्य अपने गुरु को श्रद्धा के रूप में ‘गुरु-दक्षिणा’ देते थे। आज की दुनिया में यह दक्षिणा पैसे या उपहार नहीं, बल्कि उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने जीवन में उतारना है। जब हम अपने गुरु के आदर्शों पर चलकर कुछ अच्छा करते हैं, तो वही उनकी सच्ची दक्षिणा होती है।

गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है

ताकतवर अर्जुन भी बिना श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन के भ्रमित था। जब तक गुरु ने उसे जीवन का मर्म नहीं समझाया, वह अपने लक्ष्य को नहीं पहचान सका। इसी तरह, हम सभी को जीवन में एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो हमें हमारी अंतरात्मा से जोड़ सके।

गुरु कोई भी हो सकता है — माता-पिता, स्कूल का शिक्षक, जीवन में मिला कोई मार्गदर्शक, या फिर खुद अनुभव। जो भी हमें सिखाए, सही दिशा दे, और हमें बेहतर इंसान बनाए — वही हमारे सच्चे गुरु हैं।

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