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ABCD वाला बचपन – जब ज़िंदगी आसान थी । वो दिन जब 'A for Apple' ही काफी था...

 

ABCD वाला बचपन – जब ज़िंदगी आसान थी । वो दिन जब 'A for Apple' ही काफी था...

बचपन के वो सुनहरे दिन कौन भूल सकता है, जब "A for Apple, B for Ball" कहने में एक अलग ही गर्व महसूस होता था। स्कूल की नई कॉपी में पहला 'A' लिखना जैसे कोई ताज पहनने जैसा लगता था। माँ के हाथों का टिफिन, बस्ते में छिपा खिलौना, और दोस्तों के साथ मिलकर ABCD गाना — यही तो था हमारा असली खजाना।

किताबों का बोझ नहीं, जिज्ञासा का जोश था

आज भले ही मोबाइल और लैपटॉप बच्चों की दुनिया हों, लेकिन हमारा बचपन स्लेट, चॉक और रंग-बिरंगे पेंसिल बॉक्स से सजा था। स्कूल जाना एक त्योहार लगता था — न नई यूनिफॉर्म चाहिए थी, न स्टाइल — बस चाहिए थे वो दोस्त, जिनके साथ मस्ती में पूरा दिन निकल जाए।

 "Twinkle Twinkle" में भी जादू था

आज के बच्चों के लिए राइम्स सिर्फ यूट्यूब वीडियो हैं, लेकिन हमने इन्हें दिल से जिया। हर लाइन, हर ताल में बचपन की मासूमियत थी। हमें नहीं पता था कि 'star' क्या होता है, लेकिन हम जानते थे कि वो "so high" ज़रूर होता है!

खेल भी पढ़ाई का हिस्सा थे

कभी 'पोशंपा', कभी 'कबड्डी', तो कभी 'आंख मिचौली' — इन खेलों ने हमें टीमवर्क, जीत और हार का मतलब सिखाया। पढ़ाई के साथ-साथ खेल का जो संतुलन उस समय था, वह आज की ऑनलाइन क्लासेस में कहाँ?

जब स्कूल छुट्टी का मतलब था आज़ादी

छुट्टी का नाम सुनते ही चेहरे पर जो मुस्कान आती थी, वो किसी फैंसी ट्रिप से ज़्यादा कीमती थी। गर्मियों की छुट्टियों में नानी के घर जाना, आम खाना, और शाम को छत पर सोना — यही तो था असली Luxury!

वो एबीसीडी वाला बचपन... फिर से जीने का मन करता है

अब जब हम बड़े हो गए हैं, करियर और जिम्मेदारियों में उलझ गए हैं, तब समझ आता है कि असली सुख किसे कहते हैं। एबीसीडी वाला बचपन सिर्फ पढ़ाई की शुरुआत नहीं था — वो था खुशियों की ABCD।

A – Ashirwad (बड़ों का प्यार)

B – Bachpan(सबसे प्यारा दौर)

C – Carefree(बिना टेंशन वाली जिंदगी)

D – Dreams(जो तब भी थे, और आज भी हैं)

अगर आप भी उस "एबीसीडी वाले बचपन" को याद करते हैं, तो एक बार फिर उस बच्चे को जगाइए जो आप के अंदर अब भी ज़िंदा है। वही बच्चा, जो हर चीज़ में जादू ढूंढता था।

 

क्या आप तैयार हैं फिर से एबीसीडी गाने के लिए? 

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