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बचपन आपके लिए, लेकिन अब माँ को क्या?

बचपन आपके लिए, लेकिन अब माँ को क्या?

"हम सबका बचपन माँ के इर्द-गिर्द घूमता था। लेकिन अब माँ के पास हमारा वक़्त ही नहीं है... सोचिए, अब माँ को क्या चाहिए?"

"जब हम बच्चे थे, माँ हमारे लिए सब कुछ थीं। अब हम बड़े हो गए हैं, लेकिन माँ के लिए क्या हैं?"

समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। एक समय था जब हम माँ के आँचल में दुनिया की सारी खुशियाँ पा लेते थे। उनका स्पर्श दवा जैसा लगता था, उनकी मुस्कान में सुकून मिलता था। छोटी-छोटी बातें — जैसे सुबह उठाना, नाश्ता कराना, स्कूल भेजना, और रात को लोरी सुनाना — सब माँ के जिम्मे था। उन्होंने हमारे लिए अपनी नींदें, अपनी इच्छाएँ और यहाँ तक कि अपने सपने भी कुर्बान कर दिए।

लेकिन अब?

हम बड़े हो गए हैं। जिंदगी की भागदौड़ में उलझ गए हैं। करियर, दोस्त, सोशल मीडिया, पार्टियाँ — सब कुछ है हमारे पास, बस माँ के लिए वक्त नहीं।

 

माँ ने कभी सवाल नहीं किया...

उन्होंने कभी नहीं पूछा कि उन्होंने जो त्याग किया, उसका क्या मिला। उन्होंने कभी हिसाब नहीं माँगा कि कितनी रातें उन्होंने बिना सोए गुज़ारीं। माँ को बस हमारी खुशी चाहिए थी, और आज भी है।

लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि आज माँ को क्या चाहिए?

- शायद कुछ समय।

- शायद एक कॉल।

- शायद वो पुरानी चाय की चुस्कियाँ।

- शायद हमारा बचपन फिर से कुछ पलों के लिए।

 

अब माँ को चाहिए... हमारी परवाह

 

बचपन में हम हर छोटी बात के लिए माँ के पास दौड़ते थे। आज माँ हमारी एक आवाज़ सुनने के लिए तरसती हैं। हम WhatsApp पर एक्टिव हैं, लेकिन माँ के कॉल को 'missed' रहने देते हैं। हम दूसरों की पोस्ट पर लाइक और कमेंट करते हैं, लेकिन माँ की आँखों में उदासी देख भी अनदेखी कर देते हैं।

 

क्या किया जा सकता है?

- रोज़ एक बार माँ को फोन करें।

- महीने में एक बार माँ के साथ एक दिन बिताएं — बिना फोन, बिना व्यस्तता के।

- माँ के पुराने शौक फिर से जगाने की कोशिश करें।

- उन्हें महसूस कराएं कि वो आज भी उतनी ही ज़रूरी हैं जितनी हमारे बचपन में थीं।

बचपन हमारे लिए था — प्यार, सुरक्षा और स्नेह से भरा हुआ। लेकिन अब ज़िम्मेदारी हमारी है कि माँ को वो सम्मान, समय और प्यार दें, जिसकी वो हक़दार हैं।

क्योंकि माँ का प्यार कभी कम नहीं होता, बस हमारी नज़रें

 कम हो जाती हैं उसे देखने के लिए।

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