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बुढ़ापे में माँ-बाप अकेले क्यों हो जाते हैं

माँ-बाप के समर्पण, त्याग और हमारे जीवन में उनकी अहमियत को समर्पित है। और इसमें भावनाओं के साथ-साथ सच्चाई और जिम्मेदारी का एहसास भी है

"न समझ बेटा..." - माँ-बाप का सच्चा मूल्य

"न समझ बेटा..." ये शब्द तब कहे जाते हैं जब माँ-बाप अपनी सारी ज़िंदगी हमारे लिए कुर्बान कर देते हैं, और हम — उनकी संतान — जब बड़े होते हैं, तो अक़्सर उनकी क़द्र नहीं कर पाते। ये एक कड़वा सच है जिसे न तो झुठलाया जा सकता है और न ही नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।

माँ-बाप का प्यार - निस्वार्थ, अटूट और अमूल्य

माँ की ममता और बाप की मेहनत से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती। माँ रातों की नींद छोड़कर बच्चे को पालती है, और पिता दिन-रात मेहनत कर के उस बच्चे के लिए रोटी, कपड़ा और आशियाना जुटाता है।

पर जब वही बच्चा बड़ा होकर अपने पैरों पर खड़ा होता है, तब कई बार वह भूल जाता है कि किसने उसे चलना सिखाया था।

त्याग की मिसाल:

 माँ ने अपनी ख्वाहिशों का गला घोंटा ताकि तू स्कूल की फीस भर सके।

 बाप ने अपने जूतों के तल्ले तक घिसा दिए, मगर तुझे कभी सस्ता कपड़ा नहीं पहनने दिया।

 माँ ने ठंडी रोटी खा ली, पर तेरी प्लेट में हमेशा गरम खाना रखा।

 बाप खुद टूटी चारपाई पर सोया, लेकिन तेरे लिए नया गद्दा ले आया।

फिर भी तू कहता है, “आपको क्या पता मेरी ज़िंदगी में क्या चल रहा है?”

 

 समझ बेटा, जब तू नासमझ था, तब उन्होंने तुझे समझा था

. जब तू गिरा था, माँ ने आंचल फैला दिया था।

. जब तू रोया था, बाप ने छुप-छुप कर आँसू पोंछे थे।

. जब तुझे दुनिया ने ठुकराया, माँ-बाप ने ही गले लगाया।

आज तू खुद को ‘सेल्फ मेड’ कहता है, लेकिन क्या तुझे याद है तेरे पहले स्कूल बैग में किसने किताबें डाली थीं?

बुढ़ापा - जब उन्हें तेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है।

वक़्त का पहिया घूमता है। आज तू जवान है, कल तू भी बूढ़ा होगा। पर अफ़सोस, जो तेरे लिए खड़े रहे, अब तू उनके साथ दो पल बैठने का वक़्त नहीं निकाल पाता।

. माँ अब धीरे बोलती है, तू उसे "बोरिंग" कहता है।

. बाप अब धीरे चलता है, तू उसे "स्लो" कहता है।

पर बेटा, याद रख — जिस दिन ये आवाज़ें और कदम थम जाएंगे, उस दिन तेरी ज़िंदगी की सबसे गहरी खामोशी शुरू होगी।

माँ-बाप भगवान का रूप होते हैं — ये कोई सिर्फ़ किताबों में लिखी पंक्तियाँ नहीं हैं, ये जीती-जागती हकीकत है। उनके बिना तू कुछ भी नहीं था। आज अगर तू कुछ है, तो उनके ही कारण है।

"न समझ बेटा, ये जो साया है न तेरे सिर पर — ये हर दिन तुझे बिन कहे दुआओं से ढकता है।"

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