अब कहां तक भागेगा!

आज का इंसान भाग रहा है... लेकिन कहाँ? किसी को नहीं पता। हर कोई कहता है – "टाइम नहीं है", "थक गया हूँ", "परेशान हूँ", "सेहत खराब है", लेकिन कभी किसी ने बैठ कर खुद से ये नहीं पूछा कि आख़िर परेशानी की जड़ क्या है?
। 1. पहले पेट साफ, आज पेट में जाम
पहले के लोग सुबह उठते ही एक गिलास गर्म पानी, हरी पत्तियों का साग, देसी खाना और गाय के गोबर से बनी मिट्टी से घर का शुद्ध वातावरण — सबकुछ शरीर को साफ रखने के लिए होता था।
आज?
केमिकल वाली चाय, जंक फूड, फैंसी पैकेट्स वाला खाना। नतीजा – पेट खराब, लीवर खराब, नींद खराब, और दिमाग तनाव में।
2. दिखावे का ज़माना, सेहत गई भाड़ में
आज लोग "स्मार्ट" सब्ज़ी, "स्मार्ट" खाना और इंस्टाग्राम स्टोरीज़ के लिए लाइफ जी रहे हैं।
पहले लोग खाना जमीन पर बैठकर खाते थे, घर का उगा हुआ, देसी, बिना मिलावट।
आज – टेबल, AC, केमिकल, और पैकेट में बंद दिखावा।
पेट तो भरा, लेकिन शरीर और मन दोनों खाली।
3. काम करने की ताकत कहाँ गई?
पहले का इंसान खेत में काम करता था, लकड़ी काटता था, दोपहर की धूप में भी पसीना बहाता था – फिर भी मुस्कुराता था।
आज का इंसान?
फोन पकड़े बैठा है, थोड़ा भी चलना पड़े तो थक जाता है।
शरीर दिखने में फिट, लेकिन अंदर से बिलकुल खोखला।
4. बीमारी की दुकान बन गया है इंसान
कभी सोचो –
पहले लोग 80 की उम्र तक खेत में हल चलाते थे, आज के लड़के 25 में ही डॉक्टर के पास लाइन में।
लिवर, हार्ट, किडनी, आंखें, नसें, ब्लड प्रेशर – सब बर्बाद।
क्यों?
क्योंकि हमने अपने शरीर को “सिस्टम” समझ लिया – मशीन समझ लिया।
लेकिन भाई, ये शरीर है — इसमें भी “फीलिंग्स” होती हैं।
5. असली सवाल – क्या हमने कभी खुद से पूछा?
हम बस भागते जा रहे हैं।
दूसरों को देखकर जी रहे हैं।
खुश भी नहीं हैं, संतुष्ट भी नहीं हैं।
कभी अपने आप से पूछा कि "मैं खुश क्यों नहीं हूँ?"
नहीं पूछा, क्योंकि हमारे पास खुद के लिए टाइम ही नहीं है।
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तो हल क्या है?
• अपने शरीर को समझो, मशीन नहीं है।
• देसी खाना अपनाओ, दिखावे को छोड़ो।
• फिजिकल वर्क ज़िंदगी में लाओ, पसीना बहाओ।
• टाइम निकालो खुद के लिए, मोबाइल के लिए नहीं।
• और सबसे ज़रूरी – अपने आप से दो मिनट बात करो।
••। आखिरी बात
भाई, पहले के लोग कमाते थे सुकून के लिए।
आज हम कमाते हैं दवाई के लिए।
अब वक्त है सोचने का —
"सही में ज़िंदगी जी रहे हैं या सिर्फ खर्च कर रहे हैं?"
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नहीं — एक आईना है, जो आज की पीढ़ी को खुद का चेहरा दिखाता है।

